GWALIOR : ज्योतिरादित्य सिंधिया का दमदार रैंप वॉक

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने फैशन शो में बिखेरा जलवा, ऐरी सिल्क जैकेट पहनकर रैंप वॉक करने उतरे तो देखते रह गए लोग

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ग्वालियर से एक दिलचस्प खबर सामने आई है, जहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने (GWALIOR) फैशन शो के मंच पर अपना जलवा बिखेरा। अष्टलक्ष्मी महोत्सव के दौरान, सिंधिया ने रैंप वॉक किया और सभी को हैरान कर दिया। लेकिन इस बार उनका अंदाज कुछ अलग था। सिंधिया ने ऐरी सिल्क जैकेट पहनकर जब रैंप पर कदम रखा, तो देखने वाले लोग दंग रह गए।

यह आयोजन अष्टलक्ष्मी महोत्सव का हिस्सा था, जहां पर पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पाद, और अन्य क्षेत्रीय चीजों को प्रमोट करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। महोत्सव में राज्य-विशिष्ट मंडप और कारीगरों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिससे पूर्वोत्तर भारत के अद्वितीय उत्पादों को एक प्लेटफॉर्म मिला।

मगर इस पूरे महोत्सव में सबसे चौंकाने वाला पल वह था जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने (fashion show) में रैंप पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। ऐरी सिल्क जैकेट पहनकर जब वह रैंप पर उतरे, तो जैसे ही उनके कदम बढ़े, हर किसी की नजरें उन पर टिक गईं। उन्होंने मॉडल की तरह पोज़ दिए, और ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई पेशेवर मॉडल हों, जिनका रैंप वॉक की दुनिया से गहरा ताल्लुक हो।

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सिंधिया का यह फैशन शो में हिस्सा लेना एक अलग ही अनुभव था। जैसे ही वह रैंप पर चल रहे थे, उनके आत्मविश्वास और हाव-भाव ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ इस फैशन शो में सुकांत मजूमदार भी थे, जिन्होंने साथ में रैंप वॉक किया। लेकिन सिंधिया की रैंप पर छाई भव्यता और उनका सजीला रूप लोगों को बहुत भाया।

इस फैशन शो के माध्यम से, अष्टलक्ष्मी महोत्सव ने पूर्वोत्तर भारत के पारंपरिक कला और संस्कृति को प्रमुखता से प्रदर्शित किया। यह महोत्सव वास्तव में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों – असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें ‘अष्टलक्ष्मी’ या समृद्धि के आठ रूप कहा जाता है।

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अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्देश्य इन राज्यों के जीवंत वस्त्र उद्योग, हस्तशिल्प और अद्वितीय उत्पादों को एक मंच पर लाना था, जिससे न केवल इन राज्यों की कला को बढ़ावा मिले, बल्कि स्थानीय कारीगरों को आर्थिक अवसर भी प्राप्त हो। महोत्सव में इन राज्यों के भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पादों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया। इसके साथ ही कारीगरों की प्रदर्शनी, राज्य-विशिष्ट मंडप, तकनीकी सत्र, और निवेशक सम्मेलन जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

यह महोत्सव एक तरह से पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक ताने-बाने को भी दर्शाता है। यहां पर पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पाद, और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इस महोत्सव के माध्यम से, हम न केवल इन राज्यों के अद्वितीय उत्पादों को देख रहे हैं, बल्कि उनका सांस्कृतिक धरोहर और रचनात्मकता भी हमें देखने को मिलती है। अष्टलक्ष्मी महोत्सव का एक और खास पहलू था, यहां की जीवंत संगीत प्रदर्शन और स्वदेशी व्यंजन। इन प्रदर्शनों ने क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को न केवल समर्पित किया, बल्कि दर्शकों को पूर्वोत्तर भारत की अनूठी संस्कृति से भी रूबरू कराया।

 

संक्षेप में, अष्टलक्ष्मी महोत्सव ने न केवल पारंपरिक कला और उत्पादों को एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया, बल्कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के रैंप वॉक ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। उनकी अद्भुत उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया, और यह महोत्सव अब पूर्वोत्तर भारत के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम बनने की दिशा में अग्रसर है।

अष्टलक्ष्मी महोत्सव का यह आयोजन दिखाता है कि कैसे संस्कृति, रचनात्मकता और आर्थिक अवसर एक साथ मिलकर एक समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। अब यह महोत्सव हर साल ग्वालियर और पूरे भारत में एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है।

 

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