- शिक्षा की परंपरा से प्रदेश व उज्जैन का बहुत पुराना नाता है
- श्रीकृष्ण का जीवन प्रशासनिक दक्षता का श्रेष्ठ उदाहरण है – मुख्यमंत्री डॉ.यादव
- इस्कॉन का प्रचार रथ संपूर्ण भारतवर्ष में करेगा भगवद् गीता का प्रचार
- मुख्यमंत्री डॉ यादव कालिदास अकादमी में अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए
उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि समय और प्रलय, दोनों के स्वामी, महामृत्युंजय बाबा श्री महाकाल को मेरा दंडवत प्रणाम। Ujjain मंचासीन गुरुजनों एवं साधु-संतों के समक्ष शीश नवाते हुए मैं यहाँ उपस्थित सभी श्रद्धालु गणों और जनता जनार्दन का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। बाबा श्री महाकाल की नगरी उज्जैन, जो सदा से ही धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बिन्दु है, आज श्रीमद्भगवद्गीता के पाठ से और अधिक भव्य, दिव्य और ऊर्जामयी लग रही है। अर्जुन को माध्यम बनाकर मुक्ति के तीनों मार्गों – भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की गूढ़ता को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए मोक्षदा एकादशी के दिन ही कुरूक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अपना विराट स्वरूप प्रकट किया था और श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में ज्ञान का संदेश दिया। वेदों का सार उपनिषदों में है और उपनिषदों का निचोड़ भगवद्गीता में है। इस लिहाज से विश्व की प्राचीनतम और समृद्धतम आध्यात्मिक ज्ञानकोष का क्रैशकोर्स है भगवद्गीता। आजकल धर्म का अर्थ केवल पूजा-पद्धति से जोड़ा जाता है, लेकिन सनातन संस्कृति में धर्म का वास्तविक अर्थ था आदर्श आचरण संहिता। श्रीमद्भगवद्गीता जीवन जीने के उसी आदर्श आचरण का प्रकटीकरण है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा भगवान श्रीकृष्ण का मध्यप्रदेश व उज्जैन से गहरा नाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के पश्चात उनके पिता को राजा बनाया व स्वयं उन्होंने उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में आकर 64 कलाओं की शिक्षा प्राप्त की। यह बात मनुष्य के जीवन में शिक्षा के महत्व को दर्शाती है और शिक्षा की सनातन परंपरा से मध्यप्रदेश व उज्जैन का गहरा नाता जोड़ती है। Ujjain महाभारत के युध्द में भगवान श्रीकृष्ण ने नारायणी सेना कौरवों को दी और स्वयं पाण्डवों के पक्ष में रहे। भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त नारायणी सेना का अनुशासन इतना श्रेष्ठ था कि उसके सैनिकों ने युध्द भूमि से पलायन नहीं किया अपितु अंत तक युध्द में डटे रहे। यह भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय प्रशासनिक दक्षता का अद्भुत उदाहरण है।
भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से निकली श्रीमद्भगवद् गीता से कर्मयोग की शिक्षा प्राप्त होती है। भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व में लोग गीता की शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे हैं। श्रीमद्भगवद् गीता प्राणियों के जीवन में शांति, सहनशीलता, न्यायोचित, आदर्श जीवन मूल्य, मर्यादा का संदेश देती है। Ujjain Gita Path सनातन संस्कृति इस संदेश को धारण कर हजारों वर्ष के प्रहार सहने के बाद भी अपने सम्पूर्ण गौरव के साथ जीवित है।